Chaitra Navratri 2024: दस महाविद्याएं कौन है? जानें नवरात्रि पूजन में इन 10 महाविद्याओं का विशेष महत्व!

Chaitra Navratri 2024_ Who are the ten Mahavidyas

हिन्दू सनातन धर्म भगवान शिव और माता पार्वती की बहुत अधिक मान्यता बताई जाती है।माता पार्वती की अगर बात की जाए तो वे भगवान भोलेनाथ की पत्नी माता सती का ही रूप है।माता सती ने अपने शरीर का त्याग करने के साथ ही यह संकल्प ले लिया की थी,वे एक बार फिर हिमायल के राजा के यहां पुनर्जन्म लेंगी और भगवान शिव की अर्द्धांगिनी बनेंगी।

आज हम आपको माता सती के इन 10 महाविद्याओं के रूप के साथ ही माँ के इन रूपों को प्रसन्न करने के लिए कुछ मंत्र भी बताने जा रहे है।

10 महाविद्याओं का रूप

1.काली

दस महाविद्याओं में जो सर्व प्रथम रूप है, उनका नाम है माँ काली। माँ काली की बात की जाए इस देवी के बारे में यह मान्यता है की यह सबसे जल्दी प्रसन्न और सबसे जल्दी रुष्ट हो जाने वाली देवियों में से है।

2.तारा

महाविद्या का द्वितीय रूप है माँ तारा। माँ तारा तांत्रिकों की प्रमुख देवी मानी जाती है जिसे आराधना सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ द्वारा की गयी थी।साथ ही आपको बता दे की अगर आप जीवन में किसी भी आर्थिक तंगी से गुजर रह है तो यह मंत्र गुणकारी साबित होगा।

3.त्रिपुर सुंदरी

शास्त्रों के अनुसार त्रिपुर सुंदरी को ललिता और राज राजेश्वरी नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। जिनके चार भुजाएं और 3 नेत्र है ।इस देवी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्री के समय इस मंत्र का उच्चारण करें।

4.भुवनेश्वरी

अब जिन महाविद्या के बारे में हम आपको बताने जा रहे है वो है माँ भुवनेश्वरी।माँ भुवनेश्वरी के बारे में यह मान्यता बताई जाती है की जिसे भी पुत्र की उत्पत्ति में कोई समस्या आ रही है हो तो इस देवी की आराधना फलदायक साबित हो सकती है.इस देवी की आराधना करते इस मंत्र का जाप कर सकते है।

5.छिन्नमस्ता

छिन्नमस्ता जिन्हे प्रचण्ड चण्डिका के नाम से भी जाना जाता है, दस महाविद्यायों में से एक है। शास्त्रों में इस देवी के रूप बारे में यह बताया जाता है की इनके हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है तथा दूसरे हाथ में खड्क है। माँ छिन्नमस्ता को प्रसन्न झरने के लिए इस मंत्र का जाप लाभदायक होता है।

6.भैरवी

व्यापार और धन सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए इस महाविद्या की पूजा अर्चना करना बहुत ही गुणकारी साबित होता है।इस मंत्र की सहायता से आप इस देवी को प्रसन्न कर सकते है।

7.धूमावती

माता धूमावती दस महाविद्याओं में सातवीं उग्र शक्ति हैं। जीवन में किसी भी प्रकार के संकट को दूर करने वाली देवी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का उच्चारण कर सकते है।

8.बगलामुखी

माता बगलामुखी के बारे में यह मान्यता बताई जाती है की इस देवी की पूजा अर्चना करने से दुश्मन पर आसानी से विजय पाई जा सकती है। विशेष तौर पर अगर बात की जाए नवरात्रों के समय की तो इस समय पर माँ बगलामुखी की आराधना करने से हर क्षेत्र में सफलता के मार्ग खुल जाते है।

9.मातंगी

दस महाविद्याओं में से अब जिस देवी के बारे में हम आपको बताने जा रहे है, वो है देवी मातंगी। देवी मातंगी के बारे में यह मान्यता बताई जाती है की जो भक्त खेल, संगीत या किसी प्रकार की कला के क्षेत्र में उन्नति करना चाहते है उन्हें इस देवी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का उच्चारण अवश्य तौर पर करना चाहिए।

10.कमला

दसवीं और आखिरी महाविद्या है, देवी कमला। माँ कमला धन-धान्य और समृद्धि की देवी के रूप में पूजी जाती है, इसके साथ ही पुत्र प्राप्ति के लिए भी इस देवी की पूजा-अर्चना आदि की जाती है।

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